मंगलवार, 18 जनवरी 2011

वो बचपन सुहाना

वो बचपन मै वापस कहा से लाऊ ?
कोई तो बता दे कि किस दर पर जाऊ?
मै विनती करू मै इबादत करू लगाऊ मै ध्यान
मुझे मेरा बचपन लोटा दो भागवान

नहीं मुझको चहिये हीरा और मोती नहीं चहिये मुझको सोना
मुझे तो बस मेरे बचपन की यादों मे वापस जाकर है खोना

वो देर से उठना तेज साईकिल चलाना प्रार्थना मे करना रास्ट्र गान
मुझे मेरा बचपन लोटा दो भागवान

लोटा दो भगवन मुझे मेरे खिलोने का वो डब्बा
वो तोतली जुबान भी दो वापस जिससे खाने को कहता मे हप्पा
वो पापा के पीछे से टॉफिया खाना चट कर जाना अपनी दुकान
मुझे मेरा बचपन लोटा दो भगवान


वो आम की बगिया भी वापस लोटा दो जिसमे बैठ हम आम थे खाते
माली काका जब मारने आते उनको तो भाग उनको जीभ चिढाते
वो कहना माली अंकल का की अमन तू हो गया बड़ा ही शैतान
मुझे मेरा बचपन लोटा दे भगवान

'मारवाड़ी' पर भगवान कृपा बरसना
उसे उसका बचपन वापस लौटना
वापस जीना चाहू मे बन कर के नादान
मुझे मेरा बचपन लोटा दे भगवान


इस ही कड़ी मे मेरी एक और कविता उपरोक्त कविता से मिलती हुई
शीर्षक- वो स्कूल की यादें

स्कूल की बातें बहुत याद आती।
वो बचपन की यादें आंसू तक ले आती ।
वो देर से उठ मुह धो स्कूल को जाना ।
बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना।

वो कक्षा की पढाई इंटरवेल की मस्ती।
हा याद है मुझको आठवे घंटे की सुस्ती।
वो खाली वादन मे अपनी कविता
सुनाना।
बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना।

वो ग्यारहवी कक्षा मे जिन्दगी गयी बदल ।
पढाई इतनी बढ़ गयी की माथे पे पढ़ा बल।
वो ट्यूशन से स्कूल , स्कूल से ट्यूशन को जाना।
बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना।


वो पंद्रह अगस्त छब्बीस जनवरी की बातें
डांस प्रक्टीस मे कटते थे दिन और रातें
वो भारत माता की जय के नारे लगाना
बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना

हे भगवन क्यों मुझको तुमने बड़ा किया?
'मारवाड़ी' से क्यों उसका बचपन ले लिया?
अमन को तुम उसका बचपन लौटना
बहुत याद आता है वो बचपन सुहाना

8 टिप्‍पणियां:

  1. "बहुत याद आता है बचपन सुहाना !"

    अमन भाई ,यह बचपन होता ही ऐसा है !
    बचपन की यादों की मिठास ज़िन्दगी की अनमोल सौगात होती है !
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  2. धन्यवाद ज्ञानचंद जी मेरे ब्लॉग मे आने के लिए

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  3. अतीत के गलियारों में ले जाती हुई सुन्दर कविता,
    बेहतरीन अभिव्यक्ति........

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  4. बहुत ही सुन्‍दर चित्रण, आपके साथ-साथ सभी पढ़ने वालो को बचपन की कोई भूली बिसरी याद साथ हो ली .....निरंतर एवं सुन्‍दर सृजन के लिये शुभकामनायें ।

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  5. सुन्दर अभिव्यक्ति.बचपन और बचपन की यादें,दोनों,बड़ी प्यारी होती हैं.

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  6. वो बचपन मै वापस कहा से लाऊ ?
    कोई तो बता दे कि किस दर पर जाऊ?
    मै विनती करू मै इबादत करू लगाऊ मै ध्यान।
    मुझे मेरा बचपन लोटा दो ऐ भागवान।


    बहुत भावपूर्ण रचना है...
    बचपन की यादें ताज़ा हो गईं...

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  7. प्रिय बंधुवर अमन अग्रवाल मारवाड़ी जी
    जयश्री कृष्ण ! नमस्कार !

    अच्छी सी प्यारी सी रचनाओं के लिए आभार ! आपका ब्लॉग भी ख़ूबसूरत है, तस्वीरें भी , और साज सज्जा भी । और ख़ुद आप भी तो … :)
    मारवाड़ी मतलब मारवाड़ी ही है या … ? राजस्थान के किस स्थान से हो ? राजस्थानी भाषा बोल-समझ लेते हो ? हां, तो जवाब में एक वाक्य राजस्थानी में ज़रूर लिखना … … …

    ~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  8. म्हारे को थारी रचना घनी चौखी लगी से. भाई जी आप म्हारे ब्लॉग मे आये थार घणा शुक्रिया. भाई जी म्हारा जन्म खटीमा (उत्तराखंड) मे हुआ है. मगर मेरे पूर्वज सभी राजस्थान के सीकर जिले के बाबा श्याम की नगरी खाटू के पास मवंदा नाम के गाँव के है. मुझे मेरे मारवाड़ी होने पर गर्व है इसलिए अपना उपनाम मारवाड़ी लिखता हू रही बात मारवाड़ी बोलने और समझने की तोह उस मामले मे मैं बहुत कच्चा हू. मतलब म्हारे को टूटती फूटती मारवारी आवे से. घनी चौखी मारवारी कोणी आवे.

    भाई जी आपका मेरे ब्लॉग मे आना मेरे लिए उर्जा का कार्य साबित हुआ जब मैंने देखा था की मेरे ब्लॉग मे न तो समर्थक है और न ही कोई टिपण्णी आती है तो मे बहुत ही निराश हुआ एवं अपने दोनों ब्लॉग को बंद करने का निर्णय लिया मगर कल एकसाथ इतने अच्छे अच्छे कमेन्ट आये तो मन को ख़ुशी मिली.

    पुनः हार्दिक सुभ्कम्नायो के साथ आपके जबाब के इंतजार मे
    - अमन अग्रवाल "मारवाड़ी"

    खाटू नरेश की जय
    लीले के स्वर की जय.
    तीन बाण धरी की जय

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